जवाँ कलियों, खिले फूलों और इन बहारों में तुम हो


जवाँ कलियों खिले फूलों और इन बहारों में तुम हो,
चाँद, सूरज और आसमां के सितारों में तुम हो

यूँ तो देखे हैं हमने कई हसीं चेहरे,
फिर भी लेकिन एक उन हजारों में तुम हो

बरसे है आसमां से अब्र तो कुछ लगता है यूँ,
सावन की पहली बारिश की रिमझिम फुहारों में तुम हो

तुम्हारी आँखों की गहरी झील मे डूब जाता हूँ मैं,
उम्मीद ये कि इसके हर किनारों में तुम हो

आग से बस इसलिए खेला करता हूँ मैं,
गुमाँ होता है इन शोलों, इन शरारों में तुम हो

शर्मो झिझक, मुस्कुराहट में, और लबों की थरथराहट में,
नई दुल्हन के अनजाने, हर इशारों में तुम हो

तुम से है प्यार मुझे, लो कह दिया ये राज़ तुम्हें,
अब तो मेरे दिल के चंद राजदारों में तुम हो

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