इंतज़ार - 1

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गुलमोहर के झरते पत्तों की ज़र्द बारिश में,
कोई चेहरा अनजाना सा, कुछ जाना-पहचाना सा,
याद दिलाता किसी की,
छूट गया था किसी मोड़ पर,
मुझसे किसी वादे की तरह,
कि आओगे लौट कर,
लेकिन ये हो न सका,
गुज़रे वक़्त की तरह तुम फिर कभी आ ना सके,
खड़ा हूँ, उसी मोड़ पर, गुलमोहर के नीचे,
सुनहरे फूलों के तले,
झरते पत्तों की सूखी बारिश में,
आज भी ।
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