न रखो कुर्बतें मगर, यूं राबते रखना

 

न रखो कुर्बतें मगर, यूं राबते रखना

वक़्त ये गुज़रे तो, मिलने के सिलसिले रखना

 

कर रखो बंद दरवाजा, बस अभी के लिए

दिल को मिलने के, खुले रास्ते रखना

 

वक़्त मुश्किल है मगर, ये भी गुज़र जाएगा

दिल में उम्मीद के कुछ नन्हें फरिश्ते रखना

 

पुरसुकूं सोये रहो, अपनी ख्वाबगाहों में

जो सफर में हैं,उनको भी शबिस्ते रखना

 

सलामत तुम रहो, और वो भी सलामत ही रहें

मिलो 'मश्कूक' वबा में, मगर कुछ फ़ासले रखना


मश्कूक


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